भारतीय रेलवे पूरे देश में ग्रीन रेलवे बनने के लिए तेजी से काम कर रहा है। इसी के मद्देनजर रेलवे ने पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में अहम उपलब्धि हासिल की है। रेलवे ने उत्तराखंड में भी इलेक्ट्रिफिकेशन कार्य पूरा कर लिया है। रेलवे ने 2030 से पहले नेट शून्य कार्बन उत्सर्जक बनने का लक्ष्य तय किया है। रेलवे ने हाल ही में उत्तर प्रदेश भी इलेक्ट्रिफिकेशन का पूरा किया है। उत्तराखंड का मौजूदा ब्रॉड गेज नेटवर्क 347 रूट किलोमीटर है, जिसका पूरी तरह से इलेक्ट्रिफिकेशन हो गया है। इसके परिणामस्वरूप ढुलाई की लागत लगभग 2.5 गुना कम हो गई है। इसके अलावा ढुलाई क्षमता में बढ़ोतरी, बढ़ी हुई अनुभागीय क्षमता, इलेक्ट्रिक लोको के परिचालन और रखरखाव लागत में कमी, आयातित कच्चे तेल पर कम निर्भरता से ऊर्जा कुशल और पर्यावरण के अनुकूल परिवहन साधन के कारण विदेशी मुद्रा की बचत हुई है। उत्तराखंड राज्य का क्षेत्र उत्तर और उत्तर पूर्व रेलवे के अधिकार क्षेत्र में आता है। राज्य के कुछ प्रमुख रेलवे स्टेशन- देहरादून, हरिद्वार, रुड़की, ऋषिकेश, काठगोदाम, टनकपुर है। इनमें से कुछ का धार्मिक महत्व है, तो कुछ पर्यटकों के आकर्षण के स्थल हैं। बद्रीनाथ, केदारनाथ, यमुनोत्री, गंगोत्री, हेमकुंड साहिब, मसूरी, नैनीताल, जिम कार्बेट और हरिद्वार ऐसे ही कुछ नाम हैं। उत्तराखंड राज्य की कुछ प्रतिष्ठित ट्रेनों में नंदा देवी, हरिद्वार एक्सप्रेस, मसूरी एक्सप्रेस, उत्कल एक्सप्रेस, कुमाऊं एक्सप्रेस, दून एक्सप्रेस और शताब्दी एक्सप्रेस शामिल हैं। ये ट्रेन राज्य के विभिन्न हिस्सों और भारत के अन्य प्रमुख शहरों से सुविधाजनक कनेक्टिविटी उपलब्ध कराती हैं, जिससे राज्य के पर्यटन व्यवसाय को बहुत मदद मिलती है। इसके अलावा, ऋषिकेश से कर्णप्रयाग तक, एक नई लाइन का कार्य निर्माणाधीन है, जो भारतीय रेलवे की एक और एतिहासिक उपलब्धि होगी, इससे चार धाम तीर्थ यात्रा मार्ग भारतीय रेलवे से जुड़ जाएगा। रेलवे की शत-प्रतिशत विद्युतीकृत नेटवर्क की नीति के अनुरूप इस रेल मार्ग को विद्युतीकरण के साथ मंजूरी दी गई है।