मुंबई : 30 जुलाई 1976 को मुकेश अपने बेटे नितिन के साथ वेन्कूवर पहुंचे, यहां उन्होंने अपना पहला संगीत कार्यक्रम दीया । वो मंच पर आते और दोनों हाथ उठाकर राम राम कहते, स्टेज पर आते ही उन्होंने सबसे पहले लता मंगेशकर को गाने का न्योता दिया, लता के बाद मुकेश जी ने गाना शुरू कीया फिर पूरा माहौल मुकेश जी की आवाज़ का दीवाना होकर झूम उठा । वेंकूवर के बाद मोंट्रियल से होते हुए अपनी जिंदगी के आखिरी ठहराव टोरंटो पहुंचे । टोरंटो में मुकेश जी ने अपनी जिंदगी का अंतिम गीत स्टेज पर मेरा नाम जोकर फिल्म का ‘ जाने कहां गए वह दिन’शुरु कीया पर एक अंतरा गाने के बाद उनकी तबीयत बिगड़ गई उन्होंने इशारे से नितिन को बुलाकर माईक के सामने खड़ा कर दिया और अगले अंतरे नितिन ने गाये । मुकेश जी ने जो अंतरा गाया था उसकी आखिरी लाइनें थीं, तोड़ कर दिल वह चल दिए हम क्यों अकेले रह गए।
फिर मुकेश जी उस जगह पहुंचे जहां उनकी जिंदगी का सफ़र खत्म होना था। 27 अगस्त की शाम मुकेश ने होटल के कमरे में हरमोनियम मंगा कर प्रयास किया और फिर प्रोग्राम के लिए तैयार होने बाथरूम गए थोड़ी देर बाद वह जब बाहर निकले तो पसीने से तरबतर हो रहे थे, नितिन ने घबराकर लता जी को फोन किया फिर हृदयनाथ मंगेशकर को बुलाया गया उन्होने जल्दी डॉक्टर को बुलाया, हालत बिगड़ती देख एंबुलेंस को बुला लिया गया एंबुलेंस में मुकेश जी काफी बेचैनी महसूस कर रहे थे , व्हील चेयर का बंन्धा हुआ पट्टा देखकर उन्होंने अपनी जिंदगी के आखिरी लफ्ज़ बोले वह थे यह पट्टा खोलो ।आई सी यू में जाते-जाते मुकेश जी ने आखरी दफ़ा आंखें खुली बेटे नितिन की तरफ देख कर मुस्कुराए और हाथ ऊपर कर कर मानो सब को अलविदा कह रहे हों ।
उधर डेटराईट के हॉल में हजारों जोड़ी आंखें मुकेश जी का इंतजार कर रही थीं । स्टेज सजा हुआ था साज़िंदे अपने साज़ों के साथ तैयार बैठे थे, थोड़ी देर बाद हृदयनाथ मंगेशकर स्टेज पर आए और उनका चेहरा उदास और गला भरा हुआ था वह बोले भाइयों और बहनों प्रोग्राम शुरू होने में देर हो रही है पर आज मैं इस देरी के लिए कुछ नहीं कर सकता, बस ऊपर वाले से एक ही मांग है ‘ओ जाने वाले हो सके तो लौट के आना ‘ आप सबके प्यारे मुकेश अब हमारे बीच नहीं रहे, सारे हॉल में सन्नाटा छा गया जैसे उनके चाहने वालों की आवाज़ छीन ली हो, सभी के हरदिल अज़ीज़, गायकी का मसीहा आज जिस्मानी तौर पर बेशक दुनिया से रुखसत हो गया हो मगर जब तक दिल धड़कते रहेंगे, दिलों में दर्द रहेंगा मुकेश जी की आवाज़ तब तक जिंदा रहेगी। उनके गाए लगभग 1000 गीतों के ज़रिये । मुकेश जी का ‘निर्दोष‘ से शुरू हुआ फ़िल्मी गीतों का सफ़र ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ पर आकर खत्म हुआ।
((Coutesy to प्रकाश Sir))